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गुरुवार, 2 दिसंबर 2010

कश्ती


 तूफान आया , जब  शांत  हुआ दरिया

सोचा  चलो  निकाल लो कश्ती

चल पडे राह पर फिर अपने

दिल मे थे अरमान

आँखो मे थी कुछ नमी

पहुँचे जब किनारे के करीब

पाने को थे अभी मंजिल को

आया जोश लहरो को

पहुँचा दिया भँवर में हमें फिर

उठी आँधीफिर जलते अरमानो की

जिसे फिर दिया नाम लोगो ने

अलग अलग फरमानो से ।



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